Anupama Written Update: शाह परिवार में तनाव बढ़ा हुआ था क्योंकि अनुपमा डिंपी और टीटू की शादी के चारों ओर चल रही पारिवारिक गतिरोध से जूझ रही थी। अनुपमा के मन में विभिन्न भावनाएँ उमड़ रही थीं; एक ओर वह चिंतित थी और दूसरी ओर अपने परिवार का समर्थन करने की तीव्र इच्छा महसूस कर रही थी। उसे इस बात की चिंता थी कि उसका उपस्थित होना किस प्रकार से स्वीकार किया जाएगा, खासकर जब से उसका संबंध वनराज के साथ और भी बिगड़ गया था।
इससे पहले दिन, पाखी ने इशानी पर तीखा हमला किया। “तुम मेरे पापा को क्यों फोन कर रही हो?” वह चिढ़ कर बोली। इशानी, थोड़ी चौंकी लेकिन दृढ़ जवाब दिया, “मैं उन्हें याद कर रही थी।” पाखी का जवाब आया, “मैंने तुम्हारा अच्छे से ख्याल रखा है। और तुम उन्हे ‘मिस यू’ कहना चाहती हो?” उनकी आवाज घर में भरी हुई और शिकायतों के साथ गूंज रही थी। जब इशानी ने पाखी की यह बातें सुनीं तो उसके भीतर का दर्द और भी गहरा हो गया।
डिंपी ने भी कमरे में प्रवेश किया और पारिवारिक जंग की गर्माहट को महसूस किया। “पाखी, इशानी पर चिल्लाओ मत,” उसने कहा। “काव्या और मैं उसका ध्यान रख सकते हैं।” लेकिन पाखी ने पलटकर कहा, “यह उसकी तीसरी शादी है और तुम अभी भी मुझ पर हमले कर रही हो? मैं तुम्हें याद दिला दूं, तुम्हारा पहला पति तुम्हें छोड़ गया!” डिंपी ने इस बात को महसूस किया, लेकिन उसकी संकल्प शक्ति मजबूत हो गई। “मैं अब तुम्हारे दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करूंगी, पाखी! मैं इस बार अपने लिए खड़ी रहूँगी।”
घर में, उत्सव का माहौल तैयारियों के कारण गरमाया हुआ था। डिंपी का दिल अनुपमा की मौजूदगी के लिए तरस रहा था, जबकि वनराज के अपमान भरे शब्द उसके मन में बने हुए थे। हर क्षण महत्वपूर्ण लग रहा था, जहां गुस्सा और खुशी दोनों की भिड़ंत हो रही थी।
इस बीच, वानराज टीटू के घर पहुंचा, जिसमें उसकी खुशी और अहंकार दोनों झलक रहे थे। किन्नल ने अपनी बेटी, परी से पूछा, “तूने अपनी दोस्त से क्यों लड़ाई की?” वह जानने का प्रयास कर रही थी कि परिवार में अब कौन सा नया ड्रामा खडा हो रहा है।
“क्योंकि मेरी दोस्त ने दादी का अपमान किया,” परी ने जिद्दी स्वर में जवाब दिया, उसकी मुट्ठियाँ भरी हुई थीं। तोषू, जो हमेशा ड्रामा में शामिल होने का एक मौका नहीं छोड़ता, बोला: “शायद वो सही थी!” किन्नल, अपने बेटे की असंवेदनशीलता पर चकित, ने कहा, “अगर ऐसा फिर से हुआ, तो अपनी टीचर को बता देना।”
परी का विरोध परोक्ष रूप से और भी बढ़ गया। “मैं फिर से स्कूल नहीं जाऊँगी!” उसने घमंड से कहा। परिवार की यात्रा की बात पर चर्चा शुरू हुई। “हम आज रात भारत जा रहे हैं,” तोषू ने संक्षेप में कहा, उसके स्वर में तनाव स्पष्ट था। किन्नल ने आश्चर्य व्यक्त किया। “क्या माँ हमारे साथ आएँगी?”
“नहीं, उसे नहीं आना चाहिए। पापा ने कहा है कि उसे नहीं आना चाहिए,” तोषू ने जवाब दिया, जिससे किन्नल का दिल समुद्र की गहराई में डूब गया, उसे परिवार के तनाव और भी बढ़ने की चिंता हो रही थी।
एक अलग कोने में, अनुपमा अपने सामान को जल्दी-जल्दी पैक कर रही थी। उसके मन में भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा था। पीछे एक सॉफ्ट मेलोडी बज रही थी, जो उसकी जिंदगी के उथल-पुथल पर चिढ़ा रही थी। उसने अपने प्रिय फोटो की ओर देखा, जिसे वह आढ़्या के साथ मोड़ रही थी। उसे याद करते हुए, “मुझे अहमदाबाद जाना है,” उसने दृढ़ता से कहा। “डिंपी को मेरी जरूरत है, चाहे लोगों की आलोचनाएँ कितनी भी हो।”
जब अनुज ने उसके पास पहुंचा, उसकी चिंता स्पष्ट थी। “लेकिन क्या तुम सच में जाना चाहती हो?” उसकी आवाज में जिज्ञासा और चिंता थी। अनुपमा का दिल समझौते के विचार से व्यथित था। लेकिन उसने अपने संकल्प में मजबूती प्राप्त की “मुझे शादी पर डिंपी का समर्थन करना है। मैं उसे अकेला नहीं छोड़ सकती, चाहे वनराज और पड़ोसियों की बातें कितनी भी हो।”
अनुज ने उसे प्रोत्साहित किया और याद दिलाया कि डिंपी वास्तव में उसकी मौजूदगी को महत्व देती है। उसने पारिवारिक संबंधों की जटिलता को समझ लिया। लेकिन अनुपमा के लिए डिंपी की मदद करना आवश्यक माना।
टीटू के घर में, माहौल उत्साह से भरा हुआ था। बा, अपनी जीवंतता में, ताली बजाते हुए बोली, “अब हम तैयारियाँ पूरी कर सकते हैं!” तब उसकी खुशी पूरे परिवार में छा गई।
डिंपी, अभी भी अनुपमा की उपस्थिति के बारे में चिंतित थी। बाबू जी से पूछा कि क्या उसने अनुपमा से बात की है। “मेरे पास बात करने का समय नहीं था,” उसने कहा, चिंता की लकीर उसके चेहरे पर थी। तब वनराज ने मौके को भांपा, डिंपी को याद दिलाते हुए, “अपनी खुशी को अनुपमा की उपस्थिति पर निर्भर मत करो। यह तुम्हारी शादी है; यह तुम्हारे और टीटू के बारे में होनी चाहिए।”
इस बीच, अनुपमा यशदीप के घर की ओर बढ़ी, उसकी हर चाल में दृढ़ता थी। “मैं शादी के लिए भारत जा रही हूँ,” उसने दृढ़ता से कहा, लेकिन उसे संदेह का सामना करना पड़ा। “तुम्हें इस पर पुनर्विचार करना चाहिए,” यशदीप ने चेताया। अनुपमा ने उसकी चिंता को खारिज कर दिया, “मैं डिंपी के लिए जा रही हूँ। मुझे उसके लिए यह करना है।”
एक भावनात्मक विदाई में, अनुपमा ने बीजी को गले लगाया, और वह क्षण मीठा लगा। पारिवारिक प्रेम की गर्माहट अनसुलझे संघर्षों के साथ मिल गई। जब वे पीछे हटे तो अनुपमा ने फुसफुसाते हुए कहा की सभी का ध्यान रखना।
जैसे-जैसे विवाह का दिन निकट आया, सभी के मन में यह सवाल गूंजता रहा कि अनुपमा के निर्णय के संभावित परिणाम क्या होंगे – क्या वे परिवार के बंधनों को मजबूत करेंगे या और तोड़ देंगे। विवाह का माहौल प्रेम, पारिवारिक जिम्मेदारियों और भावनाओं की जटिलता के साथ मोहक बना रहा, सभी ने एक रोमांचक विकसित होने की प्रतीक्षा की।
इस कहानी में संघर्ष, प्रेम और परिवार के सदस्यों के रास्ते की विभिन्नताएँ शामिल थीं, जो किसी ने भी नहीं सोचा था। सभी की नजरें शादी की ओर थीं, जो एक नई शुरुआत के साथ-साथ संघर्ष और क्षमा की संभावना को भी लेकर आएगी।